कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरि केसव कृपाल,

हरि करुना निधांन हरि कारून करन हैं।

भव के तारन हरि, भय के हरन हरि,

कमल नयन हरि, कमला वरन हैं॥

बृज के विहार हरि, कंस के संघार हरि,

गज के उधार गिरवर के धरन हैं।

दुख के खयार, अघवन के कुठार,

जोग के सिधांतसार, नरहर के सरन हैं॥

स्रोत
  • पोथी : बारहठ नरहरिदास ,
  • सिरजक : नरहरिदास बारहठ ,
  • संपादक : ओंकार सिंह लखावत ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : तृतीय