आखर इक्कीसी


मुरधर-महिमा मोकळी, सुरधर रै सैंजोड़।
सिरधर हूं साची कहूं, हरधर करै न हौड़॥

खेजड़ियां ऊभी खरी, आकड़िया अणपार।
धोरड़ियां वाळी धरा, बोरड़ियां बलिहार॥

सरवरिया लागै  सुखद, तरवरिया री तौर।
मन हरिया मुरधर करै, गिरवरिया कर गौर॥

रीझै! जिणसूं रघुपति, भीजै! खुद भगवान।
धीजै! धवळा धोरिया, दीजै! मुरधर मान॥

थिर ऊंची थळियां अठै, बाळू रेत विसेस।
अड़ै धोरिया आभ सूं, देखो! मुरधर देस॥

इंदर देवै ओळभो, विध-विध आज विसेस।
क्यूं रचियौ किरतार थैं, धोरां आळौ देस॥

शची सरायौ साचमन, मीठो! मुरधर देस।
इंदर रै लागी अहो!, ठेठ  काळजै ठेस॥

क्यूं बैठो कैलास पर, जटाधार जोगेस।
तपणौ व्है तो आ तुरत, धोरां आळै देस॥

फोग जठै रा फूठरा,  सेवण रंग सुरंग।
कमती सुरपुर सूं किसौ, मुरधर मस्त मलंग॥

अठै सुरंगां आकड़ा, कूंबटिया अर कैर।
जाळां रा पीलू जबर, लौंणा हंदी लैर॥

गोडावण व्हाली गजब, मोहै मनड़ौ मोर।
चीं चीं चिड़कलियां करै, भली सुहाणी भोर॥

करहळिया सैंधव कई, भल भैंसड़िया गाय।
गांव तणै हर गौरवै, दिल नै आवै दाय॥

कूदै इथ खरगोसियां, राचै हिरणां रास।
पाछै क्यूं परदेस में, म्हैं करलां घर-वास॥

सुरपुर सूं आवै सदा, देखण नै भल देव।
मन मोहै मुरधर धरा, सबविध लुटा सनैव॥

नंह कुंजां नंह गिरवरां, नंह समदर मैदान।
धोरां नै रचिया धणी, अड़ै शिखर असमांन॥

इण मुरधर-तन ऊपरां, कियौ सुरंगौ वेस।
ओढ़ाई कुण चूनड़ी, वेकळ तणी विसेस॥

स्वागत नै ततपर सदा, खोल हियै री प्रौळ।
अेथ किलोळै आंधियां, चंवर पवनियो ढोळ॥

अंतस अपणायत अखी, इधकौ निज आचार।
हेलै हुंकारै तणी, मुरधर री मनवार॥

मन हरखावै मोकळो, पाळै अनुपम प्रीत।
रीत राखणा इण रसा, गाईजै मरु-गीत॥

भाखरिया भावै नहीं, सरिता नहीं समंद।
मौ मन भावै मुरधरा, सुरपुर सूं सिरियंद॥

विधना थां सूं वीणती, इतरौ कर उपकार।
दिल हरणै मरू-देसड़ै, हूं जलमूं हरबार॥

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