धीरठ धयंग कंठीर धूयंबर, कैण मधंकर मंत्र कहै।

पियवन्न विवांण केवांण वृखुं कप, तीठ मयंक मुणांण महै।

सुरधेन दरक्क सुयंधर सारंग, सेवग काज सुधारतियूं।

खट तेरेय रूप खयंकर खेड़व, आव करन्नल आरतियूं॥

मुण कैण मुणांण महेस मखोहर, व्रख महोदर रांण वरू।

पड़चल्ल पयंख गिड़ंक रिखंबर, दुग्गव अग्गव तास धरू।

गिर कोर गिरज्ज नित्रुंक सने पत्र, धांस धसामस ध्यावतियूं।

खट तेरेय रूप खयंकर खेड़व, आव करन्नल आरतियूं॥

गज पंख सहंस सादूळ भृक्कु गज, भूह भूयंबर सूर भणूं।

हर चीर फुयंनर पड़ बुयंनर, छट्ट अरद्द रयद्द जणूं।

रज तंब रयत्त हसत्त पयत्त, पयत्त पवनेह सासतियूं।

खट तेरेय रूप खंयकर खेड़व, आव करन्नल आरतियूं॥

हर चंप सहल्ल दुरंग हुतासण, पनंग सुख आहास पहै।

सिसदूण श्रियांर वहार ओरूहर, घट्ट पीयसुख चंद सहै।

मदगंध गयठ्ट मयठ्ट मखोहर, मंद कळेस निवारतियूं।

खट तेरेय रूप खंयकर खेड़व, आव करन्नल आरतियूं॥

स्रोत
  • पोथी : मेहा वीठू काव्य-संचै ,
  • सिरजक : मेहा बीठू ,
  • संपादक : गिरधर दान रतनू ‘दासोड़ी’ ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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