साध सोई जो काया साधे।

तजि आलस और बाद बिबादे।

गहै साधना सब गति भारी।

तजै बिकलता अस्तुति गारी॥

स्रोत
  • पोथी : सहजोबाई की बाणी - सहज प्रकाश (साध लक्षण अंग से) ,
  • सिरजक : सहजो बाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस, प्रयाग ,
  • संस्करण : सातवां संस्करण