राम -नाम निज पथ हलाये 
मेरा मुझ में आण समाये। 
मेरा है सब ही संसारा 
राम कहै सो हम कू प्यारा॥ 
 
                
                    
                        स्रोत
                            
                                    - 
                                        पोथी : श्री रामदास जी की बाणी
                                            ,
                                    
- 
                                        सिरजक : रामदास जी
                                            ,
                                    
- 
                                        संपादक : रामप्रसाद दाधीच 'प्रसाद ' , हरिदास शास्त्री
                                            ,
                                    
- 
                                        प्रकाशक : श्रीमदाद्य रामस्नेही साहित्य शोध - प्रतिष्ठान, प्रधान पीठ,खेड़ापा जोधपुर
                                            ,
                                    
- संस्करण : प्रथम