राम तजूं मैं गुरु बिसारूं।

गुरु के सम हरि को निहारूं।

हरि ने जन्म दियो जग माहीं।

गुरु ने आवागमन छुड़ाही॥

स्रोत
  • पोथी : सहजोबाई की बाणी - सहज प्रकाश (हरि तें गुरु की विशेषता अंग से) ,
  • सिरजक : सहजो बाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस, प्रयाग ,
  • संस्करण : सातवां संस्करण