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अंजस सोशल मीडिया
दीप मसाल एक नहिं बाती
रज्जब जी
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दीप
मसाल
एक
नहिं
बाती,
जैसा
देव
सु
तैसी
पाती।
रज्जब
रोस
न
कीजै
वीर,
भाग
भिन्न
काहु
नहिं
सीर॥
स्रोत
पोथी
: रज्जब बाणी
,
सिरजक
: रज्जब
,
संपादक
: व्रजलाल वर्मा
,
प्रकाशक
: उपमा प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड; कानपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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निर्गुण भक्ति काव्य