सेजवालि गढ कारणि करी, पापी पापबुद्धि आदरी।

लोभइ एक विटालइ आप, लोभइ एक करइ घण पाप॥

लोभइ एक नर लोपइ धर्म, लोभइ करइ पाडूआं कर्म।

लोभइ मिली माल आथडइ, लोभइ एक नर वाहणि चडइ॥

लोभइ एक विदसइ रुलइ, लोभइ एक नर पाला पुलइ।

लोभइ एक दाखवइ अणाथि, लोभइ बूंदां बालइ हाथि॥

लोभइ एक करइ दारिद्र, लोभइ चोर आवइ निंद्र।

लोभइ काजि पियारइ मरइ, लोभइ कन्याविक्रय करइ॥

लोभइ जमलउ वासि वसइ, लोभइ एक चूंटाइ सांडसइ।

लोभइ एक थाइ अन्यान, लोभइ एक ऊपाडइ बान॥

लोभइ धर्मलोप आदरइ, लोभइ सगासहोदर मरइ।

लोभइ एक नर पाडइ वाट, मारइ विप्र नगारी भाट॥

लोभइ एक नर छांडइ मान, नीच तणइ घरि खाइ धान।

लोभइ एक तणउं मुख राखि, लोभइ एक दीइ कूडी साखि॥

स्रोत
  • पोथी : कान्हड़दे प्रबन्ध ,
  • सिरजक : पद्मनाभ ,
  • संपादक : कान्तिलाल बलदेवराम व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : second
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