कामधेंनु पसु गाइ गिनावै,

कल्पवृच्छ तरु और कहावै।

इनतैं कष्ट दूध फर पाई,

उनके निकट कल्पना जाई॥

स्रोत
  • पोथी : गुणगंजनामा ,
  • सिरजक : जगन्नाथदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : श्री दादू साहित्य- शोध – संस्थान ,
  • संस्करण : प्रथम