जे जे तुरक नासी ऊवल्या, एक ठामि जई जंगलि मिल्या।
एक ऊघाडा वस्त्रविहीण, क्षुधा करी एक थाइ खीण॥
एक घूमंता जाइ घाइ, एक डोली ऊपाख्या जाइ।
एक तणइ मुखि टोईइ नीर, पाला ऊंबरा मीर॥
रानि रुलंतां थया दिन घणा, ढीली नयरि गया ऊगणा।
अलूखान अंधारूं करी, वस्त्र एक मुखि अंतरि धरी॥
इसउ वेष नवि भावइ भलउ, नगर मांहि पइठउ एकलउ।
भागां तणी वात इम सुणी, ठामि ठामि रोइ तुरकणी॥
टोले टोले पडइ करांखि, नीर प्रवाह वहइ जिम आंखि।
एक फाडइ पहिरण सूंथणी, पाए नेउरी भांजइ घणी॥
एक नाखइ एकाउलि हार, एक ऊतारइ सावि सिणगार।
ताणइ वीणि विछोडइ दोर, एक लूस्या दिसइ बंदोर॥
एक नवि रहइ पुहर नइ घडी, एक आलोटइ आडी पडी।
थ्यु विषवाद पान नइ फूलि, एक रोआवि मुहुगि मूलि॥
एक तणा बांधव भरतार, एक तणा फूटरा कुमार।
जे जे हता रिणवाउला, एक तणा मारया माउला॥
अलूखान नइ द्यइ सवि शाप, एक तणा रणि मारिया बाप।
सांथविसाहणे पडीया वाट, नगर मांहि दिवराणां हाट॥