हानि लाभ दोउ सम करि जानैं,

ह्रदै ग्रंथ नीकी बिधि भानै।

दै उपदेस करैं भ्रम नासा,

दया देत सुख-सागर बासा॥

स्रोत
  • पोथी : दया बोध ,
  • सिरजक : दयाबाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस , प्रयाग