गुरु को अहि निसि ध्यान जो करिये,

बिधिवत सेवा में अनुसरिये।

तन मन सूं अज्ञा में रहिये,

गुरु अज्ञा बिन कछू करिये॥

स्रोत
  • पोथी : दया बोध ,
  • सिरजक : दयाबाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस , प्रयाग