गुरु गोविन्द सूं अधिका होई।

या शुन रीश करो मति कोई।

प्रथम गुरु सूं भाव बधावै।

गुरु मिलिया गोविंद कूं पावै॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी रामचरण : जीवनी एवं कृतियों का अध्ययन (गुरु महिमा से उद्धृत छंद) ,
  • सिरजक : स्वामी रामचरण ,
  • संपादक : माधवप्रसाद पाण्डेय ,
  • प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग ,
  • संस्करण : प्रथम