वोल मांन्यउ असपति राइ, गढ जालहुर भणी दल जाइ।

तिणि अवसरि बइठी उछंगि, कुंयरी वात करइ मनरंगि॥

आम तात सांभलि अरदास, वीरमदे छइ लीलविलास।

रूप वेष वय सरीखइ भावि, कान्हकुंयर मुझनि परणावि॥

बोल्यउ पातिसाह परि करी, गहिली वात करि कुंअरी।

ताहरइ मनि कूडउ उछाह, हीदू तुरक नहीं वीवाह॥

नयरि योगिनि मुसलमान, जे साहजादा मोटा खान।

ताहरइ चिंति गमइ वर जेह, करउं वीवाह अणावउं तेह॥

कुंयरी भणइ तात तुम्हे सुणउ, हीदू तुरक आंतरउ घणउ।

भोग पुरंदर हींदू एक, हींदू जाणइ वचन विवेक॥

हींदू भोजन भाव अढार, हींदू तणा भला सिणगार।

तुरक कोई वर नवि सांसहूं, वरि हूं तात कुंआरी रहूं॥

कइ कुंयर वीरमदे वरूं, आम तात कइ निश्चिइ मरूं।

कुंयरी बोल कहिउ जिसइ, गोल्हण साह तेडाविउ तिसइ॥

पातिसाह बोलइ परि घणी, वेगि जाउ कान्हडदे भणी।

कुंअरी अम्हारी वर ताहरउ, कान्ह विछेदइ वीवाह करउ॥

जउ कान्डदे बोल मानसइ, तउ देस्युं जे मुखि मागस्यइ।

गोल्हण साह जाल्हुरि गयउ, जई वेगि राउल भेटीउ॥

सभा मांहि सहू को सुणइ, गोल्हण साह इणी परि भणइ।

पातिसाहनी बेटी जेउ, ते वर मागइ वीरमदेउ॥

जासइ कटक आपणइ ठामि, गूजराति आपसइ अनामि।

करि वीवाह मनि आणी रूली, छपन कोडि धन देसइ वली॥

बोलिउ वीरमदे मनि हसी, पातिसाहि परि मांडी इसी।

पातिसाहनउ इस्यउ निवेस, इणि परि मांडी लीजइ देस॥

नवि देस्यूं वेवाही मान, नहीं आवइ तुरकांणइ जान।

मेरु सिखर जउ त्रूटी पडइ, चाहूआण चउरी नवि चडइ॥

हाथेवालइ हाथ नवि धरूं, नहीं बइसूं जिमण माहिरूं।

चाहूआणनउं कुल निकलंक, जिस्यउ पूनिम तणउ मयंक॥

सूरिज तणइ वंसि हुं आज, वडा पुरुषनि नांणूं लाज।

गोल्हण तुं मनि झंखिसि आल, हिव लाजइ माहरूं मुहुसाल॥

कुंयर घणी मनि आणइ रीस, लाजइ राजकुली छत्रीस।

एकवीस जे पृथवी राज, तिहां नीर ऊतरह आज॥

लाजइ राजगोत्र अहिठाण, लाजइ चाचिगदे चहूआण।

हूं तां नहीं विटालूं आप, हिव लाजइ कान्हडदे बाप॥

गोल्हण सुं मनि निश्चिउ जाणि, इसी वात नवि सुणी पुराणि।

कूंअरि वात विमासी कही, आगइ हूई होसइ नहीं॥

अमृत हाथ थकूं किम ढोलीइ, भवइ भव सु किम बोलीइ।

गोल्हण वात विमासी जोइ, खूटइ काल मरइ सहू कोइ॥

जनम मरणना अक्षर मांहि, आधी पाछी घडी थाइ।

चाहूआण नवि मूंकइ माण, रूठउ किस्यूं करइ सुरताण॥

स्रोत
  • पोथी : कान्हड़दे प्रबन्ध ,
  • सिरजक : पद्मनाभ ,
  • संपादक : कान्तिलाल बलदेवराम व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : second
जुड़्योड़ा विसै