चोरी जारी मिथ्या वाद,

हिंसा दंभ कपट मन स्वाद।

सकल मंन में नहीं ल्यावै,

निरमल गुण हरि जी के गावै॥

स्रोत
  • पोथी : पोथो ग्रंथ ज्ञान (अमावस्या व्रत कथा से) ,
  • सिरजक : मयाराम ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम