हुकमं कृतं श्रीमुखं छित इंद्रं। चित पीलवानं क ध्यानं गजंद्रं॥
मन पीर पैकंबरं मीर मने। मिले भीर साधीर गैवीर खने॥
चरखी गंड दार माहुत भोई। आए फौजदांर दरोगान सोई॥
पिखै तक तकेव छके छंछालं। विहद जलदं क भदं धुरालं॥
चहुं ओर ते घेर आघात सोरं। परी मार भारं करी पार जोरं॥
तिनं उपमा सायरं मध चीन्हं। सुरं आसुरं मेर साधेर कीन्हं॥
जलं आमलं बोह तेलं अमतं। सिंदूरं जंगालेव...........॥
घटा अभ ओरं क कोरं पतंगं। मनूकजलं कुट रंगेव रंगं॥
सुभै उजलं दंत स्यामं कपोलं। घटा मेघ मतं क पतंक तोलं॥
उभै चमरं ओपसा क्रन थानं। गिरं धार गंगे तरंगे प्रमानं॥
उभै पाय बेरी न बेरी उमंगं। बिना धाय साभाय मारै तुरंगं॥
धरं धाव फबै क पबै परंदं। चितं वेल उठै कृत मेल इंदं॥
जमी हाल पाताल जालं फुनंदं। कृतं थाल नीर अधीरं गिरंदं॥