रची राड कुरुखेत्र दल दोय जुटे।

इतैं राज व्रजराज नजीम छुटे॥

बहै गोल गोला तुपकै सु अछी।

बहै तीर तलवार बानै वरछी॥

कटै सूर सावंत महमंत भारी।

घरी नाहि पछै टरै नाहि टारी॥

यसी जानि कै आप सूजा बोले।

है रे कोऊ या वार यौ बैन बोले॥

सितावी खवर फौज मै जाय दै हो।

बली राव परताप है बेग लै हो॥

सुनै कौन की को वहा जान हारो।

यतैं ब्रजराजन कीनो हकारो॥

पडै सीस पै सीस दल दोउ जाके।

गिरै खेत सूजा गये सुरग लोके॥

स्रोत
  • पोथी : प्रताप-रासो ,
  • सिरजक : जाचीक जीवण ,
  • संपादक : मोतीलाल गुप्त ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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