दिये फुरमान दिलीपति साहि।

लिये सिर पातिल राव चढ़ाय॥

कह्यो वरताव बहादर तुम।

करो धर ऊपर धाय हुकम॥

दये गज तेंग खिंलत दुसाल।

दये सिरपेच किलंगी भाल॥

सजन मांहि मुरातव लारि।

वजन साहिब नोवति वार॥

यसो पतिसाह कियो सनमान।

नरुधर पातिल वउ प्रमाण॥

किये अति पातिल राव उछाह।

हुई यह बात दोऊ वल राह॥

यसो बल पातिल हुकम लीन।

मनु धर ऊपर दावस दीन॥

लिये सब मंत्री बंधुह बोलि।

कह्यो यक बचन श्रीमुख खोलि॥

स्रोत
  • पोथी : प्रताप-रासो ,
  • सिरजक : जाचीक जीवण ,
  • संपादक : मोतीलाल गुप्त ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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