A collection of traditional practices such as rituals, fairs-festivals, culinary and crafts etc.
राजपूती ब्यांव में खाणागर परथा, बूंदी, हाड़ौती
विवरण
खाणागार परथा:- खाणागार परथा राजस्थान परदेस में ब्याव रै सुभ अवसर मांय मनाई जावण वाळी एक खास परथा है , इण परथा मांय हळ्दीहाथ(बान) रै दिन बन्नै/बन्नी री मां लुगाइयाँ रै साथै बिनायक(गणेश) जी महाराज रै मिन्दर मांय बिनायक जी नै न्यूतो देवण सारू जावै (सवाईमाधोपुर रै त्रिनेत्र गणेश मिन्दर में जाणै री जूनी परमपरा है), उठै सूं पांच कांकरा अर मिन्दर रै नेड़ै-तेड़ै रै ई'ज किणी खेत सूं या माटी री खाण सूं माटी ल्यावण री परमपरा है। बन्नै/बन्नी री मां आपरै आंचळ री झोळी मांय पांच या सात मुट्ठी माटी अर साथै री दूजी लुगाइयाँ आप-आपरै हाथां मांय अेक-अेक मुठ्ठी माटी ले'र आवै, पछै घरां आ'र उण कांकरा अर माटी (माटी नै अेक बरतण मांय राखीजै) नै बिनायक जी री थरपण री जग्यां माथै राख'र बिनायक जी री थापना करीजै, उण माटी नै 'खानखानै री माटी या खानखानै री गार (खाणागार) कह्यो जावै। ब्याव रो उच्छब भली-भांत सम्पूरण होयां पछै उण पांच कांकरा नै मिन्दर मांय पाछा पुगावण रो नेम है बतायो जावै कै अगर अै पांच कांकरा बिनायक जी रै मिन्दर मांय पाछा नीं पुगाइजै तो बिनायक जी महाराज निराज हू ज्यावै, जिण सूं आगै कोइ भी उच्छब मांय असुभ हुवणै रो डर रैवै।
परथा री मानता अर महत्व:-इण परथा नै मनावण री परमपरा जूनी है, ब्याव रै सुभ उच्छब में सगळा मंगल कारजां मांय बिघ्न अर बाधावां टाळणै सारू बिघ्न विनासक बिनायक जी महाराज री घर मांय थापना करी जावै, हाड़ौती खेतर रै राजपूत समाज में ब्याव जेड़ा सुभ अवसरां माथै घर मांय बिनायक जी महाराज री थापना करणै रो ओ बिसेस तरीको है, खेतर बिसेस में आ परथा 'ख़ानख़ानै री परथा' रै नांव सूं प्रचलित है। आ परथा हाड़ौती खेतर रै साथै- साथै अजमेर, सवाईमाधोपुर अर करौली में भी मनाई जावै।