चउँड राउ दिय ऊधूळ चाउ, राउत आपहे आप राउ।

सोहिया प्रवाड़ा सिघ्ड़ सीस, जम्बुअह दीप जग्गी जगीस॥

राव चूंडा अत्यंत उदार हृदय वाला था। वह स्वयं ही रावत और स्वयं ही राव था। उसने जो सिंह की शिकार का सुयश अर्जित किया, उससे समग्र जम्बुद्वीप में उसको जानने की इच्छा जागृत हुई॥

स्रोत
  • पोथी : छंद राउ जइतसी रउ (छंद राउ जइतसी रउ) ,
  • सिरजक : बिठु सुजा ,
  • संपादक : मूलचंद ‘प्राणेश’ ,
  • प्रकाशक : भारतीय विधा-मंदिर-प्रतिष्ठान, बीकानेर
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