'बखनां' बहुतेरी करौ, हरि सुमिरन की प्यास।

राम नाम जपवौ करौ,छह रुति बारह मास।

छह रुति बारह मास, देपि ऐसी विधि कीजै।

माया तैं मन टालि, नांव गोविंद का लीजै।

बिन लियां पावस्यौ, बात ज्यों कहो अनेरी।

हरि सुमिरन की प्यास, करौ 'बखना' बहुतेरी॥

स्रोत
  • पोथी : बखना जी की बाणी ,
  • सिरजक : बखना ,
  • संपादक : मंगलदास स्वामी ,
  • प्रकाशक : श्री लक्ष्मीराम ट्रस्ट, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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