नीसांणी

कथहेरू री सुण कंवर, कमरां कसवांणी।
भड़ चंगा लीधा भला, तंग खैंगौं तांणी॥
भुज पारथ उण भीमसा, अैड़ा आपांणी।
सुभटां बीसी सात सूं, चडियौ मालांणी॥
पूगा दिन दस मै प्रथम, मांडळगढ़ आंणी।
कहियौ म्हे बंदगी करां, आ गल उचारांणी॥
डेरौ कर बेरौ दियौ, जगमाल मालांणी।
कथ तीजणियां छानकै, जगमाल कहांणी॥
तीजणियां सह आवज्यौ, पूजण पीरांणी।
कल मैहमंद रै ईद रौ, मेळौ मंडवांणी॥

आंण हुवी सह अेकठी, कथ जेम कहांणी।
बोली बापूकारिया, जगमाल मालांणी॥
अै तीजणियां अेकठी, आवी आपांणी।
सज्जो सुभटां सूरमां, किम जेज करांणी॥
औ कैतां भड़ ऊठिया, वीराद वीरांणी।
ज्यूं म्रग डारज ऊपरां, चीता मळफांणी॥
तुरँगां चाढ़ी तीजण्यां, हुब कूक हुंवाणी।
वळिया हम शत-वीस ही, माखा मालांणी॥

सांप्रत बेटी साह री, जगमालै जांणी।
गींदोली कर सूं ग्रहे, हय पीठ चढ़ांणी॥
लेगा ज्यूंहिज लाविया, जगमाल मालांणी।
चावळ कमधां चाढ़िया, जस डाक बजांणी॥
कूक गिवी मैमंद कनै, जग सारै जांणी।
इळ मणियड़ कर ऊजाळी तीजणियां आंणी॥

दुहा


दी छानै जगमाल नै, मैहमंदसा फुरमास।
दीधां गींदोली दिऊं, जुनागढ़ रौ वास॥

हूं मैहमंदसा बेगड़ौ, गोरीसाह दुलांज।
राज गींदोली राखियां, मरजासो महाराज॥

जगौ महाभड़ जोरवर, भिरड़कोट कुळ-भांण।
मैहमंद गोरी साह री, कमंध न मानै कांण॥

वैर सताबो वाळियौ, सत्रवां कर उर साल।
जिण रै उच्छव रौ जबर, मेळौ रचियो माल॥

स्रोत
  • पोथी : वीरवांण ,
  • सिरजक : बादर ढाढी ,
  • संपादक : भूरसिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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