प्रथम विनायक पूजियै, प्रघळ हुयै कोई पन।

रिधि सिधि समपै राजियौ, गुणपति देव गहन॥

काइमि काइमि केसवा, राम तुम्हारौ राज।

हूँ थारौ बारट हुऔ, सधर धणी सुभराज॥

ढील मती करिजो धणी, वैगा सांवळियाह।

बारट बाहुड़ियौ बहत, साहुलि सांभळियाह॥

अै घोड़ा अै आदमी, कहौ नी आया काह।

कोइ मोटौ पारंभ कियौ, आरंभ निमो अलाह॥

तूं तीकम रहमाँण रब, तूं काइम करतार।

तूं करीम वसदेव तण, आप लियौ अवतार॥

घण दाता जीवै घणौ, वैकंठ तणा वरीस।

पीरदान बारट पुणै, आलम नां आसीस॥

कद सांभळसौ काइमा, पींपल गाइ पुकार।

हंस राजा कद हिंससै, कद मिळिसै करतार॥

कळस थपावै कोड करि, निरखि चलावै नाह।

समंद तरौ जै साधुआं, समरौ आलम साह॥

बीज तणै दिन बोलिया, वचन धरम रा वाह।

साचव हरि जो साधुआं, आया आलम साह॥

उणि दिसड़ी सूं आविसै, वाह पछिम री वाट।

जे चाहै जगदीस नां, पूजि पछिम रौ पाट॥

घोड़िलैइ चढै घणैरिड़ै, मांडौ जुध मीरांह।

खेत उजेणी मां खसौ, पछिम रा पीरांह॥

धणगीधर मोटो धिणी, मोटां सा मोटौह।

तूं नांन्हा सां नान्हड़ौ, दे दईतां दोटोह॥

कूड़ां ना कूटाड़िसै, हुइसै हेकंकार।

भोमि किलंगरी भेळिसै, आलम रा असवार॥

नारद मां कीधी निपट, हरीचंद मांही हेल।

पीर कहै परमेसरा, खरौ तुम्हारौ खेल॥

तिलौई जांणै ताहरा, ब्रह्मा जिसा विमेख।

काइम तूं सबखौ करै, अबखौ मारग एक॥

साईं तूं सिरदारड़ौ, सखरौ थारौ साथ।

तूं देवां रौ दीवलौ, नव नाथां रौ नाथ॥

खबर करै नै खोजिये, दीसै एक दईव।

किम करि सिरिजै केसवा, जग पुड़ इतरा जीव॥

परमेसर थारी पहुँच, निमो निमो निरवांण।

सिहि जीवा नां साहिबा, रिजिक दीयै रहमांण॥

अला अला आवै अला, भला भला सिगि भूप।

परमेसर बांधौ पला, एकलमला अनूप॥

अला तुम्हारौ आसरौ, अला तुहारी आस।

परमेसरजी पालिजै, पीर तणा जम पास॥

हिमै किहिकं सुप्रसन हुए, निकलंक साह निजार।

सांमी राजा सांभळै, पीरीयै तणीं पुकार॥

हंसा राखि हजूर मां, सखरी वास सुवास।

सोरभ आवै सांमिरी, दाखै बारट दास॥

स्रोत
  • पोथी : पीरदान लालस-ग्रन्थावली ,
  • सिरजक : पीरदान लालस ,
  • संपादक : अगरचंद नाहटा ,
  • प्रकाशक : सादूळ राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट,बीकानेर
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