गाहा

धुबीया जोध अथिगो॥
सोलहवे नन्याण समते॥
भिड़ अमरेसर भगो॥
जंप गुणंदि ढीय जेहा॥

दोहा
नागपुरे बीकानयर जा पाणी विव संध।
उण उपर अहरसीया करनो-अमर कमंध॥

बोल अटंका बोलीया कोय न मुके मांण।
जोधा वेवे जुटीया सुणो तिके घमसाण॥

कवित्त

सहिजहां पतसाह रीझि नागोर संमपे।
देवाराव उदराव अमरेसर थपे॥
ताम्रपटा बांटीया अंमर मोटे छत्रपती।
अधिपति रीझि अळाय दीधि भोपत भूपती॥
तिणवार अखे मंडणोत ने ले जाखाणीयो पटे दीयो।
कळह रो बीज अमरे कमध उण वेळा आरोपियो॥

दे जाखाणो गांम लाज भोपत गळघती।
अमर वहे तल जोड़ि किणी से कागिण बरती॥
महिपुड़ बूठा मेह सझे हळ ऊसर नाड़ी।
सीहल वे वासीया आय तद आण देराड़ी॥
नह गिणी आण माडण नृभे तिण हीज वार जोत्राड़ीया।
जाखाणीयो खेत गजसाह रै जोरावरी वावाड़ीया॥

सुणी राम मंत्रेस सुणी गोपाल सजोरे।
उभै जोध उससे घणी कीवी नागोरे॥
भड़ बेवे आलोच ताम कथ एक विचारी।
अधपत दिस अरदास लिखी तिण वेळा सारी॥
जाखाणीयो ग्राम महाराज रो अंमर दीयो निज उमरां।
महाराज अरज था माहरी हुकम करो तेहवी करां॥

सुण जवाब करनेस संघ गाजीयो नरेसर।
गढ़ भांजा नागोर करां जेहो लंकेसर॥
वळि दुर्योधन जेम करां अंमरो आकारे।
खरे पाधरे खेत धींग भांजां खग धारे॥
परवाण अधपत लिखीयो रामचंद गोपे दिसो।
मम टळो जोध भड़ माहरा जुध करज्यो भारथ जिसो॥

नाम खेत्र नीपता सिरा खूटे संग्रहीया।
अंमर बहे असराल वळे उमरावन भईया॥
कीया पूंज सहकोय संक नह रखी कांई।
अेम अखे अमरेस मुझ कुण करे लड़ाई॥
तिणवार भूप करने तणो परवाणो आयो प्रबळ।
रामचंद्र इठ कल्याण रे बोलाया सांवत सबळ॥5

छंद जात मोतीदास

हूबे रिण जंग, बहे खगधार।
पछाड़ पड़े सर सेल्ह अपार॥
बड़ा बड़ अथग तीनाल बन्दूक।
राठौड़ उभै रिण माचवि रूक॥
घमाघम सेल्ह पड़े घमरोड़।
फूटे भड़ अंग बगतर फोड़॥
घड़ा बिबि खंड हुवे खगधार।
पड़ भड़ माडण भोम अपार॥
रिणे रत धार बहे विकराळ।
खळहळ जाणिक भाद्रव खाळ॥
तूटो अमरेस तणां भड़ ताम।
वधे करनेस तणां वरीयाम॥
हुई अमरेस तणे दळ हार।
जीतो करनेस वजाड़े सार॥

दोहा 

मनहर वीरम रामचंद दुणो मान सधीर।
अमर तंणा दळ भंजी निज कुळ चाढे नीर॥

सोल्हे से नन्याणवे आसू सुदी चवदस।
जुध प्रथम जाखाणीये सोहड कीयो सरस॥

सुणी बात ईम सीहमल मुड़ीया भड़ अमरेस।
बीकां पूंजां बाळीया कीध फतै करनेस॥

विक्रमपुर आवी खबर राका दिन अधरात।
रास मंडळ मझि रामचन्द्र सुणी सु बोली बात॥

तिण वेळा मुहते प्रबळ कीया कूच ततकाल।
सुजसे मोहरत सझीया खळां करण खेंगाळ॥

तद उमराव तेड़ावीया छेड़ा फिरे छंछाळ।
आंहचो करज्यो ऊमरां भूचकसे भूपाळ॥

रोह गाम डेरा कीया मुहते मुहरत साझ।
हवे जोध भेळा हवे धींग जिके कमंधाज॥

कवित्त

बीका बीदा जोधवंश कांधिल उजवाळा।
भाटी सोनिग राणि भणां खमांण भुजाळा॥
मंडळावत रिणधीर कमंध रूपा रिण मंडण।
उदावत वाधोड़ खत्री अरीयां धड़ खंडण॥
चहुवाण गोगली सांखली पाहू ध्रूजेवा धड़े।
खटत्रीस वंस अणभंग भड़ खांप खांप आया खड़े॥

दूहा


उलट घणा दळ आवीया, कंमंध सुछळ करनेस।
घणां कटकां घूमरां चढे राम मंत्रेस॥

कवित्त

सझे सेन सांवत खेंग अणपार सपखर।
बिझड़ त्रिझड़ बंदूक तारधांन ततखर॥
सुतरनाळ असनाळ नाळझा हथनाळा।
झंझा फरहर धज सझे त्रंबाळ सचाळा॥
सझि टोप बगतर जींदसाल लख बांण साथे लीया।
हणवत जेम बीकाहरा चौरंग जीपण चलीया॥ 



दूहा

चढ़ि दर कूच चलावीया मुहते रांम अभंग।
सीहलवे डेरा कीया जोध मचावण जंग॥

सझे सीहमल आवीयो वदे गरबां वैण।
कालडीये डेरा कीया लोह जरका लेण॥

सोरठा 

अमर तंणा उमराव ताम सीहे तेड़ावीया।
गजां सम बड़गात अंणसंष्या आया उलटि॥

कवित्त

कूंपावत कंमंधज चवा चांपा रिणचाळा।
जोधा माल दुजोण वदां रूपा विगताळा॥
मेड़तीया मछरीक नरा घूहड़ खूमाणा।
भाटी करमसीयोत पता केरव परवाणा॥
सझि रूप दळां सोनिगरा धींग निहचा धारीया।
उमराव राव अमरेस रा प्रबळा जोध पधारीया॥

साथ देख सीहमल गात भड़ अंग न मावै।
अिसो कूण अधिपत अंमर सु भिड़वा आवै॥
अै झले आकास प्रबळ उचास पडंतो।
दिलीपत ओद्रके रहे रहे जंभराण झरंतो॥
सीहमल देख डर अफरोलियो गर्ब बोले अिसो।
पेलो कटक पग मांडसे तो जुध करसां भारथ जिसो॥

दूहा 

परधानां रां

तद परधान तेड़ावीया सीहे पांण सताब।
कमंध करन कटक दिस जोध कहावण जाब॥

थां रजपूत माराड़ीया पूंजां दीया बिगाड़।
हवे जोध त्यारी हुवो रचां सवारे राड़॥

सेखो दूजणसाल रो भला सराहे भूप।
खेतो जैमल सुत प्रखर रूपावत कुळरूप॥

बारट चांदो देदवत दियण लियण घंण दांन।
सीहमल संघवी मेल्हीया अै तीने परधांन॥

सहि जवाब सीहे तंणा कहीया बारट कथ।
रिण माझी त्यारी करो भिड़ करसे भारथ॥

परचाया परचे नंही नाहर भड़ ओनाड़।
आहणेसे तरीया अथग सही करेसे राड़॥

ताम मुहतो बोलीयो वीरमहरो सताब।
सहको सुणज्यो ठाकुरां बारट तणा जवाब॥

कवित्त 

सुण जवाब उमराव अंग भड़ि कोप उमंगा।
प्रबल जोध पुंचाल भीम अंबर भुज लगा॥
बिझड़ तोल विकराल सूर भड़ हुवा सचाळा।
पुणां जेम पाराथ खळां अनड़ खेगाळा॥
ऊठीया जोध कंमधज अथिग वीकाहर जिव वघरू।
सझीया सेंन अंमरेस तंणी दिस खरे खेत भाजण सरू॥

दूहा

हवि परधान विदा हुवा चोकस निहचे बात।
सीहे दिसो कहाड़ीयो राड़ थपी परभात॥

कटके बिन्हु हकल मची सूरा सझे समथ।
हींस हडवड हैवरां सको सचाळा सथ॥

करि सिनान खटकर्म सझि धारण ध्रू आपार।
सोवंनगो विप्रां समंप बेवे हूवा तयार॥

सोहड सझि करनेस रा धज वहता सधीर।
सांम ध्रंम आखाड़सिध बड़ा जोधवर वीर॥

दूहा 

बीजा ही रजपूत बह खांप खांप कुळ सुध।
सुरा पूरा सझीया जोध मचावण जुध॥

मांझो रामो मंत्रवी सांम धरम समरथ।
अमर दला दिस मल्हपीया करिवा भारथ कथ॥

सझि तोपां जंबूर सझि सुतरनाळ असनाळ।
कुहकबांण बंदूक सझि खळां दळां खेगाळ॥

सझि ऊभा करनेस दळि भीम जिसा अंणभंग।
अमर तंणा चढ़ि आवीया जोध मचावण जंग॥

कैरव जिव आया कटक अमरे तणा अथग।
पंडव जिव करनेस दळि खरे डांस जोरे खग॥

देठाळा दुहवळां जांणी जमां दीठ।
आम्हो सांम्हा उससे रूक वजावण रीठ॥

रूद्र जोगिण अपछर गिरझ वहि आई तिण वार।
लीयण पीयण वर बळभखण रूंड रूधर भड़ सार॥

भड़े अराबा संनमुखां समां समां जोधार।
कळह विलोकण आवीया सुर मुनिगण संसार॥

दूहा-सोरठा

बह गोळा सर बांण उभै दळां मझि ऊछळै।
सोह छायो असमांण भीम लियो दासे भरव॥

खेड़ेचा कर खोध आग व्रजाग उछाळियो।
पड़े दड़ा दड़ जोध केकाणां सहिता कंमंध॥

बह गोळा बंदूक तीरां नभ हूवो तिमिर।
सुभट संबाहे रूक निम निम भेळा हुवे॥

वहि गोळा विकराळ तीर बांण खूटा तरै।
कर झलिकी किरमाळ हैवर बड़े भेळा हुवा॥


दूहा-सोरठा 


खाग संबाहि खांन जुध जूटो निजोमीयो।
सझीयो भल अवसांण सुरतनाळ गोळां सरस॥

बीजा ही उमराव घायल नर हूवा घणा।
भाज अमर दळ गाव कीध फतै करनेस री॥

कवित्त

सोल्हेसे नंन्याण मास काती बद ग्यारस।
अमरे करन अधिप दळां मातो वीरारस॥
जाणि दुजोण जुधिष्ठ कंमंध लड़ीया खित कारण।
पड़ीया जोध अपार हुई भैभीत आहारण॥
रिण पड़ी सेन अमरेस री जुड़ि कायर भजे गया।
जीतो कंमध राजा करन चंद जेम नामा कीया॥

स्रोत
  • पोथी : छत्रपता रासौ ,
  • सिरजक : काशी छंगाणी ,
  • संपादक : नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर
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