उडती बातां आपरी, सुणली इतरा मास

अबै उखड़गी भायलां, न्याव मिलण री आस

न्याव मिलण री आस, मेह सूं रही बाकी

भीड़-पीड़ भेळप, बिटळ्यै सत सूं थाकी

उस्तादां री आंण, क्रिपा कोथळियै राखौ

बंद करौ परचार, करौ तौ साची भाखौ

आजादी रौ आयग्यौ, अणचींत्यौ वरदांन

सांकळ कटतां मोद में, जनता चूकी ध्यांन

जनता चूकी ध्यांन, गधेड़ा धांन खायग्या

जन समझ्यौ भगवांन, हाथ में कांन आयग्या

उस्तादां री आंण, पेट पर पड़ी दुलत्ती

गादी मिळतां, गुण ग्यांन री कटगी पत्ती

भलौ डुबोयौ देस नै, कायम कर जनराज

पूजा परमिट पंथ री, रिसवत रै सिरताज

रिसवत रै सिरताज, दाझगी जनता सारी

घर-घर मांडी हाट, दलाली ठेकेदारी

उस्तादां री आंण, कांण रा प्रांण सिकै है

पड़्या अडांणा राछ, नगद में काछ बिकै है

अणचींत्यौ आयग्यौ, गंजां रै घर राज

उघड़्या सगळा दूखणा, खिणतां-खिणतां खाज

खिणतां-खिणतां खाज, पड़्या चादर पर दागा

सड़ी टाकी नै रण रा घाव बतावण लागा

उस्तादां री आण, हाथ में कैंची धरलौ

माथौ खिणतां कीड़ां रा नख डंक कतरलौ।

रीवां गढ़ में निपजिया, दूधां वरणा सेर

रूड़ै राजस्थांन में, कुदरत करी देर

कुदरत करी देर, धवळ कर दियौ कागलौ

कांव-कांव कर बीटां सूं, भर दियौ डागळौ

उस्तादां री आण, गोठिया हंस बतावै

पण कुबधां री बांण, बापड़ौ कठै लुकावै

खातां-खातां खोपरा, पाडा गिया अधाय

लीलौ चारौ रोवता, टसका करता खाय

टसका करता खाय, मिनख तरसे टुकड़ां नै

रुळ्यै राज में रो सकै, निबळा दुखड़ां नै

उस्तादां री आंण, अबै धरती धूजैला

लोक जागतां ठग ठाकर रा पग सूजैला

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : गणेशीलाल व्यास उस्ताद ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण