म्हारै देस में

सारी सभ्यतावां रौ राज

अर

सारै धरम अर साहित्य रौ ग्यान

इत्तै में

भेळो हुय जावै

कद कोई बतावै

कै

म्हारी जात कांई है

अर पूछै

थारी जात कांई है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : आशाराम भार्गव ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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