आसमान की आड़ी

बार-बार मत झांक

ऊभा मतकर लांबा-लांबा हाथ

पांचवां के मत लगा

लांबा-लांबा पांखड़ा।

ज़मीं सूं जुड़ी रखाण पावां की

पगतळ्यां।

मरबा के बाद

ज़मीं सूं जुड़्यो रहबो

अमर होबो छै।

स्रोत
  • सिरजक : जितेन्द्र निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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