कइक चकलीए

पैले हरकी...

अवै देकाती नती!

रंग रूप चकली नो

पण पाँखे हमडी नी(चील)

माळो बाँदवा तणकलँ...

कुण वैणे

तैयार माळा माते

कब्जो जुवै!

भी जेटला दाड़ा

फाव्यू एटला दाड़ा

फैरी तलास

नवा ठौड़ नी

चकली आज़ाद

रैवु चावै...

तोड़ी ने

हैत्तं वचन

जै लीधँ'त

सात पगलँ भरी!

स्रोत
  • सिरजक : आभा मेहता 'उर्मिल' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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