घणी ठसक में डोलै भुआ विवा वारा घोर मंय।

जे पूछौ रीत वताड़ै लापी घेरै गोर मंय।।

गाम पैली म्हनै तेड़ावो विवा म्है'ज कराव्यो रे,

म्हारे पौगे पाणी उतर्यु तारे दाड़ो आव्यो रे।

गामु गाम वडारिया फेरव्या वात सलावी जोर मंय।

जे पूछौ रीत वताड़ै लापी घेरै गोर मंय।।

आनै तेड़ावो,पैलो टारौ, म्हु कऊँ एम'ज करो रे,

जनैया नी रमुज राकवा वैवाइ ने फोन करो रे।

आगली सीटे म्हनै बैवाड़ो, फुओजी म्हारी ओर मंय।

जे पूछौ रीत वताड़ै लापी घेरै गोर मंय।।

वदाई लावो घाघरो-उण्णी गुलाब वारी छींट रे,

हाउ म्हारी जोती'ज रइ जाये म्हारै भाई नी रीत रे।

बेटी-जमाई आवें कालै, आलो उतारो पौळ मंय।

जे पूछौ रीत वताड़ै लापी घेरै गोर मंय।।

म्हारै मौके तमै भाभी मोडँ आव्यँ'त जान मंय,

पण पीयर नु बौदु ने देकाय,इ है म्हारे ध्यान मंय।

म्हारै हायरीयं आवैं पामणं खातिर करजु जोर मंय।

जे पूछौ रीत वताड़ै लापी घेरै गोर मंय।।

स्रोत
  • सिरजक : आभा मेहता 'उर्मिल' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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