जे लूआं थे जाणती, म्हारै तन री पीड़।

बादळियां नै जनम दे, भली बंटाती भीड़॥

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार