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अंजस सोशल मीडिया
जाकै देखत सुनत होय
बुद्धसिंह हाड़ा
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जाकै
देखत
सुनत
होय,
होत
अचंभौ
आंनि।
पीतबरन
दुति
अंगसौं,
अद्भुतरसहि
बखांनि॥
स्रोत
पोथी
: नेहतरंग
,
सिरजक
: बुध्दसिंह हाड़ा
,
संपादक
: श्रीरामप्रसाद दाधीच
,
प्रकाशक
: राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
,
संस्करण
: first
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