मिळै कोडि तेत्रीस सुर भीमरै मांडहौ,

अधिकि आणंद कनां अधकि औछाह।

जांनि उग्रसेन बळिभद्र जिसा जांनिया,

विद्रवां तणी धर हुऔ वीमाह॥

साझिया दैत साळै दिआ सेहरा,

वाजिया गाजिया केई बाजा।

बांधिया मौड ब्रह्मा पला बांधिया,

रूखमणी पिरिणिया रांम राजा॥

निरखियौ भीम सखे भड़े नारीयण, देवता देवतां तणौ डाडौ।

विसन नर रइंणि री वाह सूरति छि करतार लाडौ॥

इंदि अहल्यै उआरणा ऊपरा, गौरिज्यिा लूण उआरै।

छात्र त्रिहलोक रै छोड़िया छेहड़ा, त्रीकमौ पिरिणियो संत तारै॥

हाटडै हाटड़ै लोक सहि हरिखिया, गौखडै गौखडै़ गीत गाया।

सांमि पीरे तणौ बधावौ हे सखी, लाछिनां किसन पिरणीजि लाया॥

स्रोत
  • पोथी : पीरदान लालस-ग्रन्थावली ,
  • सिरजक : पीरदान लालस ,
  • संपादक : अगरचंद नाहटा ,
  • प्रकाशक : सादूळ राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट,बीकानेर
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