सिर धरीया छात्रतणी सीसौदा,

अमर भणै अेही आकाहि।

सिरनामां तेतां पतसाहां,

सरण सेवक आंणां साहि॥

चीत्रौड़वै सरिस चुगलालां,

आगालवैं इसै अहंकारि।

मुर सुरतांण सरिस मन मेळां,

पूठि पगे ग्रहां पचारि॥

रांणां रूप पयपै रांणौ,

रूख त्रय साह सरिस मनरंजि।

थान भ्रसट काइ चाकर थीयैं,

भिड़ि संग्रहां फौजां भंजि॥

स्रोत
  • पोथी : जाडा मेहड़ू ग्रंथावली ,
  • सिरजक : जाडा मेहड़ू ,
  • संपादक : सौभाग्यसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर
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